Narada Jayanti 2020, which will be celebrated on May 8 this year, is one of the most auspicious festivals in the Hindu calendar which is celebrated across the country to mark the birth anniversary of Devrishi Narada Muni. This festival is celebrated widely across the northern Indian states. Narada is referred to the messenger of God. He is said to be the divine messenger of the deities and the pioneer of communication.
नारद जयंती 8 मई को है। नारद जयंती प्रति वर्ष ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। हिन्दू धार्मिक आस्था के अनुसार, देवर्षि नारद का महत्वपूर्ण स्थान है। पौराणिक कथा के अनुसार, नारद मुनि ब्रह्रााजी के मानस पुत्र हैं। नारद जयंती उनका जन्मोत्सव है। इसलिए आज के दिन उनकी आराधना की जाती है। व्रत-उपवास रखे जाते हैं। नारद मुनि को इस धरती का पहला पत्रकार भी माना जाता है। क्योंकि उन्होंने एक लोक से दूसरे लोक में जाकर संवाद का आदान-प्रदान किया। नारद मुनि हमेशा तीनो लोकों में भ्रमणकर सूचनाओं को देते थे। नारद मुनि का आदर सत्कार न केवल देवी-देवता, मुनि किया करते थे बल्कि असुरलोक के राजा समेत सारे राक्षसगण भी उन्हें सम्मान दिया करते थे। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्रााजी ने नारद जी से सृष्टि के कामों में हिस्सा लेने और विवाह करने के लिए कहा, लेकिन नारद जी ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करने से मना कर दिया। तब क्रोध में ब्रह्रााजी ने देवर्षि नारद को आजीवन अविवाहित रहने का श्राप दे डाला। मान्याताओं के अनुसार देवर्षि नारद सृष्टि पहले ऐसे संदेश वाहक यानी पत्रकार थे जो एक लोक से दूसरे लोक की परिक्रमा करते हुए सूचनाओं का आदान-प्रदान किया करते थे। वह हमेशा तीनों लोकों में इधर-उधर भटकते ही रहते थे। उनकी इस आदत के पीछे भी कथा है।
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